माल एवं सेवाकर (जी. एस. टी.) आयुक्‍तालय के बारे में
 
वर्तमान में पूरे भारतवर्ष में 104 केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क, सेवाकर एवं वृहद कर दाता आयुक्‍तालय हैं I उन में से औरंगाबाद आयुक्‍तालय एक है, जो कि सन् 1983 के दौरान अस्तित्‍व में आया थाI उपर्युक्‍त आयुक्‍तालय अपने विनिर्दिष्‍ट क्षेत्राधिकार में सत्‍यनिष्‍ठापूर्वक शुल्‍क ग्रहण तथा प्रशासन संबंधी कार्य करते हैI केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क का मुख्‍य कार्य केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 एवं इसके अंतर्गत गठित केन्‍द्रीय उत्‍पाद टैरिफ अधिनियम, 1985 के विविध नियमों व प्रावधानों के कार्यान्‍वयन के साथ-साथ अन्‍य अधिनियम जो कि भारतीय संसद द्वारा समय-समय पर पारित किए जाते हैं, के तहत केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क या अन्‍य ऐसे शुल्‍क आरोपित तथा संग्रहित करने संबंधी कार्य है I आयुक्‍तालय के कार्यों को सुचारू रूप से निपटाने के लिए विभिन्‍न अनुभागों तथा क्षेत्राधिकार में विभाजित किया जाता है, यथाः-


आयुक्‍तालयः-

- मुख्‍यालय स्‍तर पर विविध अनुभाग I

- मण्‍डल कार्यालय I

- रेंज कार्यालय I


(अ) अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रदत्‍त शक्तियॉं तथा उनके कर्त्‍तव्‍यः-

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 में इसके अधिकारियों की शक्तियॉं व कर्त्‍तव्‍य परिभाषित किए गए हैं तथा इन्‍हीं के तहत नियम बने हुए हैं इन्‍हीं को आगे केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क मैन्‍युअल में परिभाषित किया गया हैं, जो कि एक प्रकाशित दस्‍तावेज है I

भारतवर्ष में उत्‍पादित एवं निर्मित सभी वस्‍तुओं पर (विशेष आर्थिक जोन को छोड़कर) जो कि केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क टैरिफ अधिनियम, 1985 में विशिष्‍ट दरों पर विनिर्दिष्‍ट किया हुआ है, पर केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क देय होता है I वर्तमान में निर्धारण योजना के तहत एक विनिर्माता को आवश्‍यक है कि वह स्‍वतः ही अपने निर्मित माल पर देय शुल्‍क का निर्धारण कर उसे प्राधिकृत बैंक में जमा करवाएं I इस निर्मित माल पर छूट सम्‍बन्‍धी दावे, शुल्‍क भुगतान सम्‍बन्‍धी विवरण को साविधिक विवरणी ई.आर.-1, 2 एवं 3 में भरकर उन्‍हें विभाग को प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता होती है I इसके बाद सम्‍बन्धित विभागीय अधिकारियों को इसकी जॉंच करने की आवश्‍यकता पड़ती है कि निर्माता द्वारा शुल्‍क का भुगतान किया गया है या नहीं I

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आयुक्‍तालय, औरंगाबाद के प्रभारी अधिकारी आयुक्‍त है I उनकी उनके क्षेत्राधिकार में शुल्‍क संग्रहण करवाने के साथ-साथ समूह ‘बी’ रेंक स्‍तर के अधिकारियों को नियुक्‍त करने तथा अनुशासनात्‍मक प्राधिकारी की भी जिम्‍मेदारी होती है I मुख्‍यालय स्‍तर पर उनका तीन अपर/संयुक्‍त आयुक्‍तों द्वारा सहयोग किया जाता है, जिन्‍हें विशेष जिम्‍मेदारी वाला क्षेत्र सौंपा जाता है I इसके अलावा उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त, अनुभाग प्रभारी होते है, जिन्‍हें विशिष्‍ट जिम्‍मेदारियां सौंपी जाती हैं I उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍तों की सहायता अधीक्षकों, निरीक्षकों, वरिष्‍ठ कर सहायकों, कर सहायकों एवं कनिष्‍ठ लिपिकों द्वारा प्रदान की जाती है I

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आयुक्‍तालय, औरंगाबाद का क्षेत्राधिकार पॉंच मण्‍डलों में विभक्‍त है I मण्‍डल का क्षेत्राधिकार पुनः रेंज कार्यालयों में विभाजित किया जाता है I प्रत्‍येक रेंज कार्यालय में एक अधीक्षक होता है, जो कि रेंज अधिकारी के पदनाम से जाना जाता है I प्रत्‍येक अधीक्षक के अधीन रेंज में 2-4 निरीक्षक होते हैं I प्रत्‍येक निरीक्षक निश्चित इकाईयों के प्रभारी होते है, जो कि एक रेंज से दूसरे रेंज में बदलते रहते है I एक निरीक्षक का क्षेत्राधिकार सेक्‍टर कहलाता है I

कार्मिक एवं सतर्कता सम्‍बन्‍धी मामलों के प्रभारी अपर/सहायक आयुक्‍त होते हैं I आयुक्‍तालय की कर-अपवंचन गतिविधियों के लिए अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त उत्‍तरदायी होते हैं I अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त (पुनरीक्षण), न्‍याय-निर्णयन आदेशों को पुनरीक्षण के लिए, जिन्‍हें विविध मूल व अपीलेट प्राधिकारियों द्वारा पारित किया जाता है, के लिए जिम्‍मेदार होते है तथा वे उन आदेशों के विरूद्ध जो कि वैधानिक समुचित नहीं होते हैं, को फाइलिंग (Filing) करने के लिए भी उत्‍तरदायी होते हैं I अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त (तकनीकी) कानून के परिवर्तन तथा इसके कार्यान्‍वयन के लिए जिम्‍मेदार होते है I वह उद्यम एवं उद्योगों के लिए एक सुगमीकरण की तरह भी कार्य करते है I उद्यमी द्वारा शुल्‍क भुगतान की प्रथमतः जॉंच, अधीक्षक एवं उनके अधीन कार्यरत स्‍टॉफ द्वारा की जाती है I अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त के अधीन अंकेक्षण अनुभाग द्वारा द्वितीय स्‍तर पर व समय पर राजस्‍व संग्रहण हेतु जॉंच की जाती है I उद्यमी की इकाई तथा विभाग के मध्‍य सम्‍पर्क सूत्र का पहला कार्यालय रेंज कार्यालय होता है I केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क के निर्धारिती को पंजीकरण फाइल घोषणा, प्रार्थना-पत्र आदि क्षेत्राधिकार के उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त के समक्ष प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता होती है, जो कि वर्तमान निर्धारण योजना के तहत एक निर्धारि‍ती को स्‍वतः निर्मित माल पर शुल्‍क अदायगी, शुल्‍क निर्धारण कर उसके द्वारा उस शुल्‍क को प्राधिकृत बैंक में जमा करवाने आदि के साथ-साथ पंजीयन प्रमाण की स्‍वीकृत्ति प्रदान करने के लिए उत्‍तरदायी होते है I निर्मित माल, छूट दावे देय शुल्‍क आदि का विवरण सावधिक विवरणी ई.आर.-1/ई.आर.-3 में भरकर विभाग में प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता होती है I लघु स्‍तर की इकाईयों द्वारा त्रैमासिक तथा अन्‍य इकाईयों द्वारा मासिक विवरणी प्रस्‍तुत की जाती है I इस विवरणी की रेंज स्‍तर के अधिकारियों द्वारा जॉंच करने की आवश्‍यकता पड़ती है कि क्‍या सही शुल्‍क राशि का भुगतान किया गया है या नहीं I निर्धारण कार्य के अलावा रेंज अधिकारी निर्धारिती द्वारा फाइल की गई कुछ वैधानिक घोषणाओं की सत्‍यता की जॉंच करते है I रेंज अधिकारी निर्याति‍त माल के लिए जारी प्रमाण-पत्र की मात्रा तथा गुणवत्‍ता की भी जॉंच करते है I यदि निर्धा‍रण के अलावा अन्‍य कोई विवाद उत्‍पन्‍न होता है तो उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त मण्‍डल या रेंजों के ग्रुपों (समूहों) के कार्यों का पर्यवेक्षण मण्‍डल प्रभारी द्वारा किया जाता है , जो कि उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त स्‍तर के अधिकारी हो सकते है I मण्‍डल प्रभारी की हैसियत से अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त उक्‍त अधिनियम के तहत अर्थात निर्धारिती द्वारा फाइल की गई घोषणाओं तथा उन्‍हें स्‍वीकार करने के लिए पर्याप्‍त वैधानिक दायित्‍व रखते है I वह नियमावली के अन्‍तर्गत कुछ स्‍वीकृत्तियां भी प्रदान करता है I वह अपने क्षेत्राधिकार के अन्‍तर्गत केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क कानून व प्रक्रियाओं के समुचित अनुपालन के लिए उत्‍तरदायी होते है I उनमें तथाकथित न्‍यायिक कार्यों तथा उन प्रकरणों जिनमें शुल्‍क की राशि पॉंच लाख तक शामिल होती है, के निर्णयन की शक्तियां निहित होती है I चॅूंकि उनके द्वारा वे समस्‍त मामले जो मूल्‍यांकन तथा वर्गीकरण से सम्‍बन्धित होते हैं, उनके द्वारा निर्णित किए जाते हैं I केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क देयता के अस्‍थायी निर्धारण की अनुमति मण्‍डल के उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त द्वारा प्रदान की जा सकती है I उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त उन दस्‍तावेजों या रिकार्डों को जिन्‍हें वह आवश्‍यक या प्रकरण की जॉंच के लिए ज्‍यादा उचित समझते है, को मंगवाने के पश्‍चात् निर्धारण को अंतिम रूप दे सकते हैं I वह अपने क्षेत्राधिकार के अन्‍तर्गत आसूचना के संग्रहण तथा कर-अपवंचन अभियानों के आयोजन के लिए उत्‍तरदायी होते है I वह मण्‍डल स्‍तर पर अंकेक्षण सम्‍बन्‍धी कार्यों की अनुपालना भी देखते है I निर्धारिती, क्षेत्राधिकारी उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त के समक्ष रिफण्‍ड/छूट दावे प्रस्‍तुत कर सकता है I ऐसे रिफण्‍ड/छूट के प्रार्थना-पत्र केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 की धारा 11(बी) के तहत प्रावधानों के अनुसरण में प्रस्‍तुत किए जा सकते है I उनसे वरिष्‍ठ अधिकारी जो कि संलग्‍न मौद्रिक सीमा पर निर्भर करता है, के द्वारा निर्धारि‍ती को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है I पॉंच लाख तक या इससे अधिक मूल्‍य रू. 50 लाख तक के लिए संयुक्‍त आयुक्‍त/अपर आयुक्‍त द्वारा कारण बताओं नोटिस जारी किया जाता है I आयुक्‍त बिना किसी सीमा के कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते है I

निर्धारिती के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही विभाग द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस से आरम्‍भ होती है I सामान्‍यतः कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिवसों का समय दिया जाता है I व्‍यक्तिगत सुनवाई के दौरान आगे की प्रस्‍तुति तथा जवाब के आधार पर, जिसकी निर्धारिती मांग कर सकता है, केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिकारी आदेश पारित करते है I यह आदेश मूलादेश या न्‍याय-निर्णयन आदेश कहलाता है I इस आदेश के विरूद्ध आयुक्‍त (अपील) के समक्ष अपील फाईल की जा सकती है I अपील फाईल करने की अगली कड़ी केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 की धारा 35(बी) के तहत ‘सीमा शुल्‍क, केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क एवं सेवाकर अधिकरण (सेस्‍टेट)’ है I यदि प्रकरण अधिकरण आदेश के विरूद्ध हो तो अपील माननीय उच्‍च न्‍यायालय व सर्वोच्‍च न्‍यायालय में भी दायर की जा सकती है I एक करोड़ से अधिक राजस्‍व का भुगतान करने वाली इकाईयों का अंकेक्षण साल में एक बार तथा अन्‍य इकाईयों का प्रति दो वर्ष में एक बार करते है तथा उनके दस्‍तावेजों की गहनता से जॉंच कर यह सुनिश्चित करते है कि इनके द्वारा भुगतान योग्‍य शुल्‍क का सही रूप में निर्धारित तिथि से पहले या बाद में भुगतान किया गया है या नहीं I

प्रत्‍येक आयुक्‍तालय में अधीक्षकों के अलावा, जो कि कार्यकारी अधिकारी समूह ‘बी’ श्रेणी में आते हैं, निरीक्षक स्‍तर के समूह ‘ग’ के कार्यकारी अधिकारी तथा समूह ‘बी’, ‘सी’ तथा ‘घ’ के अनुसचिवीय अधिकारी होते हैं I

 निर्धारिती के लिए निर्णय बनने की प्रक्रिया में यथा पर्यवेक्षण व जिम्‍मेदारी तथा अन्‍य सूचनाएं जैसी शामिल कडि़यों के अलावा अन्‍य अपनाई जाने वाली प्रक्रिया सम्‍बन्‍धी मार्गदर्शन केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क मैनुअल, न्‍याय-निर्णयन तथा अंकेक्षण मैनुअल में दिए गए हैं :-


1.
      पंजीकरणः-

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क निर्धा‍रि‍ती को पंजीयन करवाने, घोषणाएं व आवेदन आदि फाईल करने के लिए क्षेत्राधिकारी उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त के समक्ष निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करने की आवश्‍यकता होती है जो कि केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क पंजीयन प्रमाण-पत्र 15 संख्‍याओं या पेन आधारित होता है, की स्‍वीकृत्ति प्रदान करने के लिए उत्‍तरदायी होता है I वे अनुशासन को बनाए रखने तथा दोषी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए आयुक्‍त, अपर आयुक्‍त, संयुक्‍त आयुक्‍त की मदद तथा सहायता करते है I

आयुक्‍त द्वारा अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त, उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त तथा अन्‍य अधीनस्‍थ अधिकारियों के सहयोग से समस्‍त मण्‍डल कार्यालयों के कार्यों का पर्यवेक्षण किया जाता है I आयुक्‍त अपने क्षेत्राधिकार में कानून की अनुपालना तथा प्रक्रियाओं के लिए उत्‍तरदायी होते हैं I वे कम या गैर शुल्‍क या आपराधिक प्रकरणों का जिसमें असीमित राशि शामिल होती है, का न्‍याय-निर्णयन करते है I वह अधीनस्‍थ अधिकारियों द्वारा अंकेक्षण से पहले तथा बाद के रिफण्‍ड/छूट दावों से सम्‍बन्धित पारित किए गए न्‍याय-निर्णयन आदेशों का भी पुनःरीक्षण करते है I आयुक्‍त को आयुक्‍तालय के पर्यवेक्षण के लिए अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त सहयोग प्रदान करते हैं I

मुख्‍यालय का कर अपवंचना अनुभाग कर चोरी के बारे में आसूचना के संग्रहण करने तथा रोकने के लिए कोई भी प्रभावी प्रयास करने के लिए उत्‍तरदायी है I अंकेक्षण अनुभाग के अधिकारी उन सभी इकाईयों का एक बार अंकेक्षण करते हैं I 


2.
      विवरणी की जॉंचः-

निर्धारिती द्वारा स्‍वयं निर्धारण करने के बाद फाईल की गई केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क विवरणी को निरीक्षक जॉंच कर अधीक्षक के समक्ष फाइल कर प्रस्‍तुत करते है I निर्धारण के अलावा यदि कोई विवाद उत्‍पन्‍न होता है तो मण्‍डल के उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त या उससे वरिष्‍ठतम अधिकारी द्वारा संलग्‍न मौद्रिक सीमा के आधार पर निर्धारिती को नोटिस जारी किया जाता है I


3.
      अनन्तिम निर्धारणः-

      अस्‍थाई निर्धारण विभिन्‍न कारणों यथा मुख्‍य विसंगति तथा उस पर लगाई गई उत्‍पाद शुल्‍क ड्यूटी के लिए जिसकी सूचना निर्धारिती दे सकता है, जिस पर मण्‍डल प्रभारी अपनी अनुमति दे सकते है I उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त को इस प्रकार के निर्धारण के समय उन दस्‍तावेजों या रिकार्डों जिसे कि वह प्रकरण की परिस्थितिजन्‍य में समुचित या आवश्‍यक समझते हैं, को निर्णीत करने की आवश्‍यकता पड़ती है I  

 

        4.      न्‍याय-निर्णयनः-

विभाग द्वारा निर्धारिती के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही कारण बताओं नोटिस के साथ होती है I सामान्‍यतः कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिवसों का समय दिया जाता है I जवाब के आधार पर तथा व्‍यक्तिगत सुनवाई के दौरान आगे की प्रस्‍तुति हेतु, जिसकी निर्धारिती मांग कर सकता है, के बाद आयुक्‍त या न्‍याय-निर्णयन अधिकारी आदेश पारित करता है I यही आदेश ‘मूलादेश’ या ‘न्‍याय-निर्णयन आदेश’ कहलाता है I अपर आयुक्‍त तक के आदेश के विरूद्ध अपील आयुक्‍त (अपील) के समक्ष दायर की का सकती है I आयुक्‍त के आदेश के विरूद्ध केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क व सेवाकर अधिकरण (सेस्‍टेट)  में अपील की जा सकती है I अधिकरण आदेश के विरूद्ध अपील उच्‍च न्‍यायालय तथा सर्वोच्‍च न्‍यायालय में प्रकरण के अनुसार दायर की जा सकती है I


5.
      रिफण्‍ड/ रिबेट दावेः-

निर्धारिती सम्‍बन्धित क्षेत्राधिकारी उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त के समक्ष रिफण्‍ड/रिबेट दावे के लिए आवेदन कर सकता है I इस प्रकार के रिफण्‍ड/रिबेट के आवेदन केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 की धारा-11(बी) के प्रावधानों के अन्‍तर्गत किए जा सकते है I अतः क्षेत्रीय मण्‍डल कार्यालय के उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त जिन्‍हें रिफण्‍ड/रिबेट सम्‍बन्‍धी दावे पेश किए जाते है, वह स्‍वीकृत्त करने के लिए प्राधिकृत है I


6.
      अंकेक्षणः-

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क के निर्धारितियों की ऑडिट विभाग द्वारा ई.ए. 2000 में निर्धारित मानकों के अनुरूप की जा रही है I केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क ऑडिट अनुभाग के प्रभारी अपर/संयुक्‍त आयुक्‍त होते हैं, जो कि आयुक्‍त के निर्देशन में कार्य करते हैं I इकाईयों का अंकेक्षण उन्‍हें पूर्व सूचना भेजकर अधीक्षक के नेतृत्‍व में अधिकारियों की एक ऑडिट टीम द्वारा किया जाता है I  


7.
      निवारकः-

इस अनुभाग का मुख्‍य कार्य कर चोरी करने की गतिविधियों को रोकना है, जिसमें आसूचना या सूचना संग्रहण, कर चोरी रोकना इत्‍यादि शामिल है I इस अनुभाग के पदाधिकारी उपायुक्‍त/सहायक आयुक्‍त होते हैं, जिनकी पर्याप्‍त संख्‍या में अधीक्षक तथा निरीक्षक सहायता करते हैं और आयुक्‍त को जवाब देय होते है I  

 
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